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Motivational Story : भट्टा मजदूर की बेटी ने तोड़ा 11 साल पुराना रिकॉर्ड, जीता गोल्ड

Bulandshahr News : मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया बुलंदशहर की बेटी सोनम ने,भट्टा मजदूर वीरसिंह की बेटी सोनम ने एमपी में हुए खेलो इंडिया खेलों में 2000 स्टीपलचेज में 11 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्ड मैडल जीत लिया।


सोनम ने बताया कि -

बुलंदशहर की 18 साल की सोनम ने मध्यप्रदेश के इंदौर में हुए खेलों में 2000 स्टीपलचेज में 6:45,71 सेकंड के साथ स्टीपलचेज दौड़ जीतकर स्वर्ण पदक पर कब्जा कर लिया और पारुल चौधरी का 11 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

सोनम के गोल्ड मेडल जीतने पर उसके गांव पृथला में खुशी का माहौल है परिजन मिठाई बांटकर खुशी का इजहार कर रहे हैं। हालांकि गरीब परिवार की गोल्ड मेडलिस्ट बेटी सरकार से ओलंपिक खेलने के लिए बेहतर कोच की मांग कर रही है।

डिलीवरी गर्ल ने भरी हौसलों की उड़ान -

बता दें कि सोनम के पिता वीर सिंह व माता कश्मीरी देवी बुलन्दशहर के हुरथला गांव में एक ईंट के भट्टे पर मजदूरी कर के परिवार का भरण पोषण करते हैं। जबकि सोनम खुद दिल्ली में रहें के अपने हौसलों की उड़ान भर रही थी साथ ही कोरियर डिलीवरी गर्ल यानि कि लोगों के घर तक सामान डिलीवर का कार्य भी करती हैं। घर की हालत ठीक न होने से पिता वीरसिँह अपनी बेटी को उच्च शिक्षा नही दिला सके। लेकिन गरीबी में झुझती हुई सोनम ने हौसलो की ऐसी उड़ान भरी की लंबी बाधा दौड़ में गोल्ड मेडल जीत लिया।

सोनम ने गांव की सड़कों से भरी थी हौसलों की उड़ान -

गोल्ड मैडलिस्ट सोनम ने बताया कि जब बुलंदशहर में थीं तो यहां सेना में भर्ती की तैयारी कर रहें युवाओं को सुबह रोज सड़कों पर दौड़ लगाते देखती थी। बस उन्ही युवाओं से प्रेरित होकर सोनम ने भी गांव की सड़कों पर दौड़ना शुरू कर दिया,और दौड़ते-दौड़ते खेलो की तरफ रुख किया। सोनम ने स्टीपलचेज दौड़ में जिला मंडल प्रदेश स्तरीय से अनेको  पदक जीते। मौका मिले तो सोनम दुनिया में भारत का डंका बजा सकती है।


सरकार से श्रेष्ठ कोचिंग मांग -

सोनम व सोनम के माता-पिता और कोच संजीव कुमार ने सरकार से आर्थिक हालात अच्छी ना होने के कारण बेटी को बेहतर कोचिंग ना दिला पाने में असमर्थता व्यक्त की। गोल्ड मेडलिस्ट सोनम और उसके परिजनों को जितनी खुशी उसके गोल्ड मेडल जीतने पर है उससे कई ज्यादा चिंता उसके भविष्य को लेकर है उसके माता-पिता ने सरकार से उसे ओलंपिक में जाने के लिए श्रेष्ठ कोचिंग सुलभ कराने की गुहार लगाई है। माता-पिता का मानना है कि यदि सोनम को श्रेष्ठ कोचिंग मिले तो वह दुनिया में देश का डंका बजा सकती है और तिरंगा लहरा सकती है।


क्या होती है स्टीपलचेज -

स्टीपलचेज़ दौड़ (Steeplechase Race) एथलेटिक्स में ट्रैक-एंड-फ़ील्ड का खेल है, जिसमे कई प्रकार की चुनौतियां दी गई है, इस खेल में एथलीट (Athlete) बाधाओं के साथ एक कोर्स पर दौड़ते हैं तथा विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए (निश्चित बाधाएं और पानी की छलांग इत्यादि के साथ 3000 मीटर की दौड़ को पूरा करते है। फोटो को देख के आप अंदाजा लगा सकते है, इस खेल का।


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