मौसम में आगे भी राहत के आसार नहीं -
मौसम विभाग ने इस सप्ताह 16 फरवरी को अनुमान लगाया था कि मौसम के मिजाज में अगले दो सप्ताह तक कोई बदलाव नहीं होगा। लेकिन मौसम विभाग ने बताया की अगर मौसम का मिजाज ऐसे ही रहता है तो किसानों की फसलों को सबसे अधिक नुकसान होगा और गेंहू की सफल सबसे अधिक प्रभावित होगी। आंकड़े यही बताते हैं कि फरवरी में जैसी गर्मी पड़ रही है, आने वाली महीनों में इसका दायरा और बड़ा होगा।
जानिए मौसम के बढ़ते ताप मान की वजह (temperature high climate change)
पारे की चाल बता रही बढ़ेगी गर्मी, मौसम विभाग के अनुसार 16 फरवरी को खत्म हुए सप्ताह में देश का औसत अधिकतम तापमान 27.52 डिग्री सेल्सियस था। 1981 से 2010 के बीच इस वक्त के तापमान की तुलना में यह 0.39 डिग्री सेल्सियस अधिक है। 1951 के बाद यह 23वां सबसे गर्म सप्ताह था।मौसम धरती पर बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन का कारण ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन है। लिहाजा विश्व को बचाने के लिए सबसे पहले इनमें कमी लाने की सख्त जरूरत है। विकसित देशों में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन बहुत अधिक है। आज मनुष्य की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संसाधन बहुत सीमित हैं। जब असीमित इच्छा और सीमित संसाधन के बीच संघर्ष होता है, तो उसका परिणाम मनुष्य के लिए कल्याणकारी नहीं होता।
इंटरगवर्मेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने चेतावनी दी है कि धरती के तापमान वृद्धि को डेढ़ डिग्री तक रोकने के लिए कार्बन उत्सर्जन में 43 प्रतिशत की कटौती करनी होगी। साल 2010-2019 में दुनिया का औसत वार्षिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, मानव इतिहास में सबसे उच्चतम स्तर पर था। ऐसे में जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमें अपने उत्सर्जन को जीरो पर लाना होगा। इसके लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी लानी होगी। पूरे विश्व में जैव विविधता के क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण स्थान है। (climate change)
इस विविधता को संरक्षित करने के लिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु में होने वाले परिवर्तनों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करना होगा। कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए हमें अक्षय ऊर्जा की तरफ जाना भी बेहद जरूरी है। प्रयोज्य संसाधनों के उपयोग को बढ़ाकर ही संकट को कम किया जा सकता है। कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन की मात्रा को कम करने और क्लोरो फ्लोरोकार्बन के वैकल्पिक यौगिकों का उपयोग करने की अविलंब आवश्यकता है। दुनिया के सभी देश मिलकर इसका उपाय खोज सकते हैं।
विकास और पर्यावरण की दिशा में प्रगति के बीच संतुलन का अभाव एक गंभीर चुनौती है। विकास के कारण पारिस्थितिक प्रभाव और पर्यावरणीय विकृतियों ने हमें यह सोचने पर विवश कर दिया है कि क्या विकास को रोका जाना चाहिए ? यदि नहीं, तो विकास की सही दिशा क्या होनी चाहिए ताकि पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े ? इस सवाल का जवाब विकास को रोकना नहीं हो सकता है। लेकिन विकास को सही मानव हितैषी दिशा देने की सख्त जरूरत है और पर्यावरण पर इसके दुष्प्रभाव रोकने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किये जाने की भी जरूरत है।
बढ़ती गर्मी के पांच कारण-
1.सर्दियों के दौरान या दिसंबर में बारिश का न होना या कम होना।
2.नमी और आद्रता कम होने के कारण मौसम का मिजाज लगातार बदल है।
3.प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है जिस कारण वातावरण में गर्मी बढ़ रही है।
4.जलवायु परिवर्तन और पिघलते ग्लेशियर भी चढ़ते पारे का कारण।
5.ऊर्जा की खपत में बढ़ोतरी और वाहनों की संख्या में बड़ा इजाफा भी बढ़ते तापमान का कारण।
(ऑथर स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)